कौशाम्बी उत्तर प्रदेश में इन दिनों एक टीवी चैंनल के दलित पत्रकार को जबरन जेल में दाल देने का मामला लगातार तूल पकड़ता ही जा रहा है।जहां खाखी वरदी की तानाशाही के खिलाफपत्रकरो में इस बात को लेकर आक्रोश है वही कई पत्रकार संगठनों के अलावा दलित सेना और कोशाम्बी के अधिवक्ताओं में भी इस बात को लेकर काफी आक्रोश देखने को मिला। उत्तर प्रदेश की पुलिस लाख मित्र पुलिस बनना चाहे मगर उसकी खामियों की वजह से हो जाती है खाखी बदनाम।ऐसा ही एक मामला है हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाली कोशाम्बी मंझनपुर कोतवाली की पुलिस का जिसकी लापरवाही की वजह से एक टीवी चैनल का दलित पत्रकार अजय कुमार पासी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया इस पर आरोप लगा एक व्यक्ति से धन उगाही का।वही बिना जांच अजय को जेल में डालने की पुलिसिया कार्यवाही से लोगो मे खासा आक्रोश व्याप्त हो गया और लोग उतर आए सड़को पर वही मामला पुलिस के खिलाफ तब उलट गया जब वादी गुफरान ने अपर जिला मजिस्ट्रेट को शपथ पत्र के द्वारा ये बताया कि वो किसी अजय नाम के व्यक्ति को जनता नही और न ही उससे कभी मिला और न उसका उससे कोई लेना देना है बस फिर क्या था हर कोई सच्चाई सामने आते ही खुलकर खड़ा हो गया पत्रकार अजय के समर्थन में। अब सवाल ये उठता है कि जब अजय के खिलाफ कोई केस ही नही बनता है तब उसको मंझनपुर कोतवाली इंस्पेक्टर ने 419/19 धारा 386 के तहत जेल में डाला तो क्यों डाला जिसका जवाब हर कोई चाहता है। सुधीर सिन्हा की रिपोर्ट
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