बूमरैंग खेल  चैम्पियनशिप की  तैयारी  मध्य प्रदेश  के  छिन्दवाड़ा में  जोरो  पर

बहुचर्चित  जंगली लड़का मोगली जिसकॆ  कारनामे बच्चो  मे  बेहद  लोक  प्रिय  है आदिवासी  बच्चो  एवं  गांव  गिरांव  के  बच्चे  युवा कभी   दप्ता  काटकर  तो  कभी  लकड़ी कि प्लाईयो  को  काटकर सूदर्शन  चक्र की  तरह  फेंक कर बूमरैंग खेल का आनंद  लिया  करते  थे भारत  देश  अनगिनत खेलो  का  जन्म दाता  रहा है भले  ही  वो  खेल  दुनियां  के  छितिज  पे  न  पहुंच  पाये  हो पर  उनमे  भारत  की  संस्कृति  की  झलक  दिखती  है   चिभ्भी नच्चा  गुल्ली  डंडा  शुटुर्रा कबड्डी  कुश्ती  आदि ढेर सारे  खेल है इनमे  से  बूमरैंग भी  एक  है जिसे भारत का प्रथम पंजीकृत बूमरैंग खेल संगठन, इंडो-बूमरैंग एसोसिएशन पहली बार राष्ट्रीय बूमरैंग चैंपियनशिप लेकर आ रहा है, जो छिंदवाड़ा, एम.पी. के इंदिरा गाँधी क्रिकेट मैदान! में आयोजित किया जा रहा है। 

दुनिया भर में खेला जाने वाला बूमरैंग आई. एफ. बी. ए., इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ बूमरैंग एसोसिएशंस द्वारा शासित एक अंतर्राष्ट्रीय खेल होने के साथ-साथ एक आदिवासी उपकरण के रूप में हमारे देश की एक सांस्कृतिक विरासत भी है, जिसे हमारे बहुत ही मनपसंद जंगल के लड़के मोगली द्वारा उपयोग भी किया गया था।

एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष श्री विवेक मौंट्रोज़ को बूमरैंग के क्षेत्र में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है, और उनका उद्देश्य भारत के लिए एक राष्ट्रीय टीम का निर्माण करना है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर सके, और अगले डब्ल्यूबीसी में भाग ले सके। यह पूछे जाने पर कि छिंदवाड़ा में ही इस प्रतियोगिता का आयोजन क्यों, तो उनकी राय बहुत दिलचस्प थी, सबसे पहले, यह कि मोगली, भारत का मूल आदिवासी बूमरैंग थ्रोअर और दूसरा, कि मध्य प्रदेश, भारत का मध्य भाग है।

इस चैम्पियनशिप में लगभग 12 राज्यों के थ्रोर्स के भाग लेने की उम्मीद है।

विवेक जी के साथ उपस्थित लोगों मे मौंट्रोज़ फाउंडेशन के अध्यक्ष और कैंसर रोगियों के लिए दिल्ली फैशन रनवे के निदेशक श्री विशाल, और आईबीए की कोषाध्यक्ष सुश्री परमप्रीत कौर थीं।