महिला काव्यगोष्ठी में बही काव्य धारा

 महिला काव्यगोष्ठी में बही काव्य धारा



प्रयागराज ।रविवार दिनांक 29 नवम्बर को शहर समता विचार मंच के तत्वावधान में महिला काव्य गोष्ठी  का आनलाइन आयोजन गूगल मीट द्वारा लखनऊ से पधारी कवयित्री एवं लेखिका शुभा श्रीवास्तव की अध्यक्षता में  सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई ।इस काव्यगोष्ठी में  मुख्य अतिथि  हुशंगाबाद से  सुप्रसिद्ध कवयित्री ममता बाजपेयी थी एवं विशिष्ट अतिथि राँची की सुप्रसिद्ध कवयित्री गरिमा पाठक थी।आयोजन का प्रारम्भ  माँ सरस्वती जी को मालार्पण, दीप प्रज्ज्वल तथा   शहर समता विचार मंच की साहित्यिक संयोजक रचना सक्सेना की वाणी वंदना से हुआ  डा. नीलिमा मिश्रा  के प्रभावशाली एवं सुंदर संचालन द्वारा अनेक कवयित्रियों नें अपनी सुंदर सुंदर रचनाओं को पटल पर रख अपने भावों का आदान प्रदान किया।   इस काव्यगोष्ठी में जहाँ अध्यक्षता कर रही शुभा श्रीवास्तव सक्सेना ने फूलो की तरह महकना खिलना चाहते थे हम मगर वक्त ने वो मंजर दिखाऐ कि मुरझा गये.... ,वहीं डा. नीलिमा मिश्रा ने  रुसवाई दी फ़रेब दिया आसरा दिया 

मत पूछिए जमाने ने अब हमको क्या दिया.... रचना सक्सेना ने कारवां गुजर गया निशानी रह गयी अब तो बस पास में कहानी रह गयी.. ऋतन्धरा मिश्रा ने आज दस्तूर सब ये चलाने लगे, जब जरूरत नहीं तो भुलाने लगे.... ममता बाजपेयी ने  मैं तीरगी में रौशनी का बुत तराश लूँ, नज़्रों का जाल फेंक के जुगनू तलाश लूँ... .गरिमा पाठक ने वैदेही अब लौट चलो अब न होगी भूल, बहुत चुभते है अब वे करुण विरह के दंश.... ललिता नारायणी ने 

हम राह में पड़े हुए खार बीनते रहे, वह दूर कहीं पुष्प की कतार में चले गए....अनामिका पाण्डेय ने बता दूँ लाकडाउन में ,मैं क्या दिन रात करती हूँ।कभी उनसे कभी डी पी से उनकी बात करती हूँ।  सुजाता सिंह नें तुम्हारी खामोशी का राज मैं ढ़ूढ़ती हूँ तुम खुश रहो ऐसा चिराग ढ़ूढ़ती हूँ... पढ़कर  आयोजन को सफल बनाया।इसके अतिरिक्त इस आयोजन में रिंकल शर्मा, संतोष सोनी एवं प्रभजोत के स्वर भी गूँजित रहे।  अंत में  ऋतन्धरा मिश्रा ने आभार ज्ञापन किया