सुदीपा मित्रा
की रिपोर्ट
दोपहर से एक महिला हेतु वेंटिलेटर वाले हॉस्पिटल की सहायता मांगा गया था लगातार हमारे ओर से भी कई प्रयास किये जा रहे थे। हॉस्पिटल को फ़ोन करो तो पता चलता है नए जारी हुए तुगलकी फ़रमान के चलते प्रशासन के आदेश पर ही मरीज़ को भर्ती किया जाएगा। जिसके बाद कई बार कोविड सेंटर पर कॉल किया गया जो कभी लगता ही नही, फ़ोन पर फोन और जब 2 घण्टे बाद लगा तो वहाँ से बताया गया के कहीं शहर में बेड ही नही है तो सभी घर पर वेंटिलेटर की व्यवस्था की कोशिशें करने में लग गए..
अभी जानकारी मिला के महिला अब नही रही।। इसका ज़िम्मेदार कौन? अगर बेड नही तो प्रशासन कोई और व्यवस्था करने में लचर क्यों? तमाम वैवाहिक स्थलों को, होटल को सेंटर बनाये जा सकते है तो अभी तक सुस्त क्यों? स्टेट की ओर से मिले अनुदान का कायदे से इस्तेमाल क्यों नही हो रहा? प्राइवेट हॉस्पिटल लोगों से भर्ती हेतु 1 लाख से 5 लाख तक कि मांग कर रहे उदाहरण के लिए यूनाइटेड मेडिसिटी जिसका सबूत सबके पास है इसपर कार्यवाही क्यों नही?
शर्मसार है ये पर हमने एक ऐसा समाज रचा है जहां पर अस्थि जलाने वाले ठेकेदार से लेके ऊपर बैठे तमाम नेता वो कोई भी हो सब आम इंसान के मौत का धंधा करने में लग गए है।