प्रभाती

  


🙏🏻नव प्रभात 🙏🏻

🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️

नव प्रभात  सूर्य का उदय 

मंत्र से गुंजित, सृष्टी 

में हर स्वर 

प्रभु का ध्यान कर 

संकट सब हट जायेगें

प्रतिदिन जीवन से भरा होगा,

यह कण कण ,और कलुषित सब तन मन, 

🌴🌴🌴🌴🌴🌴

अविरल बहती हैं,

गंगा की धारा ,जिसने जगत 

सारा संवारा ,

मन तन सब समर्पित कर दें

प्रभु चरणों में, हट जायेगे 

सब संकट......

🦚🦚🦚🦚🦚🦚

अंधकार सब दूर होगा 

उजव्वल किरणों से,

सवेरा होगा,

फिर वही धरती और 

शशि किरणो का सवेरा होगा

🧎🏻‍♀️🧎🏻‍♀️🧎🏻‍♀️🧎🏻‍♀️🧎🏻‍♀️🧎🏻‍♀️🧎🏻‍♀️🧎🏻‍♀️


😇नंदिता एंकाकी😇


🕉️प्रयागराज 🕉️




लुप्त होती विधा लोरी 



🌹🌜ऐ चाँद मेरे घर आना🌜🌹

ऐ चाँद मेरे घर आना,

मुझको थपकियों से सुलाना,

मैं कभी कभी थकती हूँ

यह सबको बताना.....

चंदा मुस्काया फिर खिलखिलाया,

ऐ बदरी तू हैं बिजली ,

कभी खिल खिल 

कभी हाँ हूँ मैं बात करती हैं,

पता नहीं अपने आप 

क्या समझती हैं,

🌹🌜🍫🌹🌹🍫🌜

ऐ चाँद. .........

हूँ मैं क्या करती 

मैं तो बस अपना करती 

कभी कभी यहाँ कभी वहाँ

कभी साथ अटरियाँ पे जवाँ सी रहती

☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️

ऐ चाँद................

चंदा मुस्काया गले से लगाया,

तू जलतंरग की तरह बजती 

कभी सितार की तरह दिखती 

कभी मटक कर मटके में 

स्वर दे देती, पता नहीं क्या करती हैं

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

ऐ चाँद..................

सुन अब मेरी बात 

जो सरल और सहज होते हैं

वह तो सभी से मिलते 

तो वह क्या गलती 

करते ,ना ना मेरी बिट्टी रानी 

अब उदास ना हो ना 

तेरे संग में खड़ा हूँ

🤷‍♂️🙆‍♂️🙆‍♂️🙋🏽‍♂️🙋🏽‍♂️

चाँद................

ओ मेरे चंदा प्यारे प्यारे चंदा 

बस मुझको हृदय में बसा लें

अपनी जैसी शीतलता 

मेरी काया में भरकर मेरी काया 

कंचन कर दें ....

😊😊😊😊😊😊😊

ऐ चाँद..............

चंदा ने जब लोरी सुनायी,

मीठी मीठी निन्नी आयी,

मैं छोटी हूँ ,मैं मोटी हूँ

गोल सा चेहरा चंदा जैसा

असमान में रहती हूँ,

😇😇😇😇😇😇😇

ऐ चाँद........... 

तारे आये सारे आये 

मिल के खेले आँख मिचौली 

निदियाँ आजा बिट्टी को सुला जा,

वह देखो बिट्टी सो रही निन्नी 

में खो रही हैं,सो जा सो जा 

मेरी बिट्टी रानी, कल मिलेगें

फिर जग में फूल खिलेगें

👩‍🌾👩‍🌾👩‍🌾👩‍🌾👩‍🌾👩‍🌾👩‍🌾

ऐ चाँद.............

सूरज दादा आयेगा 

ढेरों खुशियाँ लायेगा 

ऐ चाँद...........

🌹🍫🌹🍫🌹🍫🌹🍫


🌹नंदिता एकांकी🌹

       प्रयागराज



लुप्त होते एकल नाटक की 

के संवाद आप सब को समर्पित 



☺️इला पुरू संवाद ☺️


पुरू हैरान है जगत से परेशान है,

है यथार्थ के प्रसन्नों से भरा ,

जीवन से डरा डरा... . 

इला ने समझ लिया है 

परिवर्तन का प्रण किया है,

इला मंद मंद मुस्काई 

पुरू का बाजू थाम लिया है,

इला है वह नारी सृष्टि की 

प्रथम अवतारी.........

💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼

पुरू है पौरूष का प्रतिक 

इला भी नारीत्व का प्रतिक 

युगों से साथ में रहते

जीवन और प्रेम की कविता कहते

🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️

इला ने पुरू को समझया ,

मुझको देखो .हूँ वीनस की मूर्ती 

जैसी ,यौवन से ओत प्रोत हूँ,

पावन पवन हूँ, धरा भी में 

मैं ही बनी हूँ,......

सुनो ना मेरे हृदय के

स्वामी तेरे लिये ही मैं बनी हूँ

तेरे ललाट की मैं हूँ चंदन ,

करती तेरा नित अभिनन्दन 

रहूगी तेरे स्वाँस निस्वाँस में यह

करती हूँ. 

😊😊😊😊😊😊😊

पुरू का पौरूष जागा, अपनी प्रिय 

की बात से से अंतकरण का 

विस्वास जागा.....

लेकर अंक में अपनी अभिमाननि 

पर कर दी ढेरों प्रेम की वर्षा 

दोनों बह रहे हैं , जीवन जी रहे है,

  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

पुरू डरा है खोने से तुम बिन कैसे रहूगाँँ, प्रिये तुम सम्मान हो,

मेराे हिये रहती हो ,

हो चंदन चपल चकोरी,

हिरनी , सूर्य का प्रथम किरण 

मेरे जीवम जीने का कारण हो तुम प्रिय 

☕☕☕☕☕☕☕☕

इला मुस्काई और गले लगाकर ,

भाव से भर कर भरे गले से 

जोर से खिलखिलाई,

हे प्रियवर , मैं नही मायविनी,

ना ,काल कलपित कल्पना 

तुम में रच बस गयी हूँ 

प्रियवर मैं तुम बिन थी अधूरी 

शांत गिरी थी धरा पर मिली थी ,

🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴

तुम तो मेरे हो  मैं अधिकार से कहती हूँ अदृस्य रूप में पग पग में रहती,

मैं गगन हूँ, हूँ उफनते नदी की धार ,

जब से तुम आये हो जीवन में 

आया जीवन में नया आयाम

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚

शांत चित से मनन करना बस 

अपना मुखार बिंदु ना खोलना ,

आओ हम मिल गायेगें

राग बंसत और मलहार 

मैं तुम्हरी हूँ कविता कहानी 

और भजन की संध्या 

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵


करो प्रण अब हम बस मिल गायेगें

सौहार्द प्रेम रस बरसायेगें

वह दोनो गा रहे जग में प्रकाश 

फैला रहे है.......

आओ हम सब मिल कर करे अभिनन्दन और वंदन 

चलो संध्या में नज़म संग मिलते है.


😇😇😇😇😇😇😇😇


🌹नंदिता एकांकी🌹

🕉️प्रयागराज 🕉️