सुधीर सिन्हा
ब्यूरो चीफ़ प्रयागराज
माध्यम रंग मंडल द्वारा वर्चुअल राष्ट्रीय विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें रंगकर्मियों ने " रंगमंच का बदलता स्वरूप " विषय पर अपने विचार साझा किए । वरिष्ठ रंगकर्मी सुधीर सिन्हा ने कहा कि निश्चित रूप से आज रंगमंच का स्वरूप काफी बदला है, आज मंच उपलब्ध न हो, भले ही रंगमंच की गतिविधियों पर कोरोना संक्रमण ने अपना प्रभाव जमाने की पुरज़ोर कोशिश की हो लेकिन रंगमंच डिजिटल माध्यम से ही सही दर्शकों तक इस काल मे भी पहुंच रहा है जो एक बड़ी उपलब्धि कही जाएगी । आज के दौर में बेहतर नाटकों के अनेक प्रयोगों के साथ रंगमंच अपने पुराने स्वरूप में लौट कर अपने दर्शकों को व्यापक और सुखद सन्देश देने की ओर अग्रसर है ।
वरिष्ठ निर्देशक डॉ अशोक कुमार शुक्ल ने कहा कि समय के साथ कड़ी चुनौतियों के बीच भी रंगकर्म सदा ही विकसित और परिमार्जित हुआ है । वर्तमान आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में नए आकार और कलेवर में परिष्कृत होकर खरे सोने की तरह तपकर निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है । रंगमंच का हमेशा से उद्देश्य रहा है कि यह ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के बीच अपनी पैठ और प्रभाव बना सके । इसी क्रम में रंगमंच ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दस्तक दी है । इन नवीनतम प्रयोगों से ही रंगकर्म के नए रास्ते निकलेंगे और नई प्रस्तुतियां नए डिज़ाइन, परिकल्पना और सशक्त अभिनय के साथ निखरकर सामने आएंगी ।
अभिनेत्री व आकाशवाणी की कॉम्पियर प्रतिभा नागपाल ने कहा कि रंगमंच जीवन का वास्तविक दर्शन है, जो जीवन के सुलझे -अनसुलझे पहलुओं को उकेरता है । बदलते समय के साथ परिवर्तन का आगाज़ होता है जिससे कोई अछूता नहीं है और रंगमंच भी परिवर्तन के रंग में रंगा और कई सारे स्वरूपों में प्रदर्शित हुआ नाटक ,नौटंकी, मॉर्डन थियेटर, ड्रामा, किस्सागोई जैसी कितनी विस्तृत शैलियों ने रंगमंच को एक सधा और सजीला रूप दिया जो समय की माँग के अनुरूप भी था । जिसे दर्शकों ने खुले हाथों स्वीकारा भी और सहेजा भी । आज रंगमंच के डिज़ाइन से लेकर लाइटिंग तक, ऑडियो विजुएल का इस्तेमाल, सोलो परफॉर्मेंस, एकांकी नाटक तो कभी लाइट एंड साउंड के द्वारा प्रस्तुतियां हो रही हैं कहने का तात्पर्य ये हैं कि रंगमंच का बदलता स्वरूप सहज व स्वाभाविक है ।
युवा रंगकर्मी अभिषेक दुबे ने कहा आज कोरोनाकाल मे जहॉ सारा देश इस आपदा को झेल रहा है वहीं रंगमंच को भी प्रभावित कर रहा है किन्तु युवा रंगकर्मी डिजिटल माध्यम से प्रतिबद्धता के साथ अभिनव प्रयोग द्वारा रंगमंच को नया स्वरूप दे रहे हैं ।
संयोजन संस्था के सचिव विनय श्रीवास्तव ने किया । उन्होंने कहा कि रंगमंच में समय-समय पर अनेक परिवर्तन हुए हैं । धीरे-धीरे उपन्यासों, कविताओं और यहां तक कि लेखों का मंचन भी किया जाने लगा । अनेक प्रयोगों ने रंगमंच को और समृद्ध किया ।
अभिनेत्री अंशू श्रीवास्तव ने कहा कि ये सही है कि समय और परिवर्तन ने भी रंगमंच को काफी हद तक प्रभावित किया है किन्तु आज हमें इस बदलाव को स्वीकार करना होगा ।