मुक्त छंद



🌹🍫बहार🌹🍫

🌴🌴🌴🌴🌴🌴

चलो बहारों में चले प्रिय 

मुक्त संग गगन गुन लें,

कुछ सपन तुम संग 

क्यों ना बुन लें...

💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼

चलो.....

गले में डालूँ शब्दो की माला,

पीत वस्त्र पहन तुम बन जाओ 

काला...  .. .  

🎻🎻🎻🎻🎻🎻🎻 

चलो................

नयनो से नयनों के बाण चलेगें

कभी तुम विजित होना ,

मैं हारूगीं प्रिये,

चलो.................

👏👏👏👏👏👏👏

छंदों का सुंदर संसार होगा 

गीतो से ही मेरा श्रृंगार करना 

जल तरंगों की तरह बज,

जाँऊगी , हे मेरे हिये..

☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️

चलो..... ...

पुरू हो मेरे इला तुम्हारी 

इस सृष्टि के प्रथम पुरूष 

जीवन का संबल हुँ

तुम्हारी ........

☺️☺️☺️☺️☺️☺️

चलो.  .............

कामयानी हूँ, तो कभी मधुशाला ,

मिले हम तो सृजन करेगें,

कुछ गीत गजल संग 

अभिसार करेगे..  

😇😇😇😇😇😇😇

चलो.........  

यह समर्पण तुम्हारे लिये था,

अपना जीवन तुमको दिया है 

धीमे धीमे तुम गुनगुनना,

मेरे केशों को तुम संवार जाना,

🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️

चलो...........

मैं उन्मुक्त नदी हूँ,

तुम सागर बन जाना, 

मैं गंभीरता से भरी थी,

शायद तुम्हारे लिये

ठहरी थी, चलो अब हम 

मिल गये हैं, संग कुछ 

स्वर लगाये कुछ भजन 

गीत गाये.....

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

चलो..............

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚


😇 नंदिता एकांकी😇


🕉️प्रयागराज 🕉️




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मुक्त छंद


🌹🍫बोझिल बोझिल🍫🌹


बोझिल बोझिल नजरें तुम्हारी ,

क्यों इतना थका हुआ है,

किस बात से इतना डरा हुआ है

🍫🍫🍫🍫🍫🍫🍫

आ मैं तेरे पास खड़ी हूँ

देख तो मुझको 

सात स्वरों से मैं सजी हूँ

बोझिल...............

आ मेरे पास आ तू 

गले लगा कर तृप्त 

करा दूँ....     ...

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

बोझिल...............

झुकी झुकी हैं पलकें तेरी 

बिखरी  बिखरी अलकें मेरी 

छू लें मुझको संदल कर दें

🌴🌴🌴🌴🌴🌴

बोझिल................

तूझको देखकर मैं सुख पाऊँ

तेरे बिना मैं जी ना पाऊँ,

दूर गगन मैं वह चमका तारा

उसकी मैं बिंदियाँ लगाऊँ

✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼

बोझिल..............

साज मैं बन जाऊँ 

तुम स्वर बन जाओ,

मन से मन के तार मिलाओ

😊😊😊😊😊😊

बोझिल................

तुम मेरे प्रिय हो मैं तुम्हारी 

वंदिनी हूँ, तुम कह दो 

तो चंदन से अभिनन्दन 

कर दूँ............

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

बोझिल............

माना यह विकट समय 

पर मेरे मन के भाव विहवल है,

तुम उदास हो मैं दुखी हूँ

😔😔😔😔😔😔😔

आओ उदासी दूर कर दूँ

सारी पीड़ा मैं हर लूँ,

तू जो कहे मैं हंसिनी बन,

जाऊँ,दूर गगन में

तुझ संग ढेरों रास रचाऊँ

☺️☺️☺️☺️☺️☺️

मेरा प्रेम स्वीकार करना,

तेरी मैं चिर जीवन

योगिन बन जाऊंँ,

मंद मंद हंसी छुपा रहा है,

 देखो जीवन में नया संचार आ रहा है

😇😇😇😇😇

आगे से कभी ना थकना 

ना कभी हृदय पर

घात करना ..

वह नदी देखो हंस रही हैं

अनजाना सा बहुत कुछ 

कह रही है,

🌴🌴🌴🌴🌴🌴

हम तुम दोनो प्रेम रस में बहेगें

अब कुछ नवल सृजन 

करेगें.......

बोझिल......................

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚


😇नंदिता एकांकी😇

🕉️🕉️प्रयागराज 🕉️🕉️