हमारे सहित्य जगत में नारी केंद्रित बहुत सी कहानी कथा कविता आदि बहुत लिखी गयी है लेकिन कभी कभी लगता है कि नारी पात्र के साथ ईमानदारी नही बरती गयी कहीं गाल बाल सौंदर्य पर गीत कविता छंद आदि बुने गये लेकिन नारी का जो अंतर् मन क्या चाहता है यह तो सोचने या समझने की कोशिश कम ही लोगो ने ही की.
यहाँ जब हम शरत चंद्र की नायिका को जब हम पड़ते है तो नारी का अलग रूप ही नजर आता हैं.
यदपि बांग्ला सहित्य को कुछ स्वीकार करते हैं कुछ नही कुछ लोगो को लगता है नायिका का अर्थ डरी सहमी शोषित माँ बाप के अलावा पति की सम्पति है .
शरत चंद्र की नायिकाये ,नायिकाये नही समाज की रोल माडल है .जो होती तो थी बेहद खूबसूरत लंबे काले केश ,चंपई रंग आदि
वह प्रेमिका बेटी बहु माँ या पत्नी के रूप लेकिन उनका वजूद अलग ही दिखता है .जो शांत गाती गुनगुनाती सितार बजाती लेकिन समय आने पर
कितनी मजबूत हो जाती थी कोई सोच भी नही सकता है और था.
शरत की कहानियों में पुरूष पात्रों चरित्र कुछ दब गया है.
शरत ने नगर वधु से लेकर महिला मित्र आदि तक का किरदारों के पर अधारित कहानी लिखी .साथ में कई जगह पर जहाँ पुरूष उसके साथ तो है . पर दूर जैसे संबधो पर अधारित कहानी लिखी
जहाँ अपने पुरूष मित्र या अपने प्रिय से जब मिलती है तो पहले वह परिवार या कैसा चल रहा जीवन आदि के बारे पूछती है फिर चुटकीयों में समस्या को हल करती है,यही नही जब पुरूष पात्र जब कमजोर होता है तो वह समझाती भी है,और कहती है कि समुद्र बनो गंभीर मैं तो नदी हूँ, ना बहने के लिये जैसी अनेक गंभीर बातें
शरत की नायिका हंसमुख सौम्य है ,
रूप गर्विता है चंचल है सबके हृदय की स्वामिनी है लेकिन दुश्चचरित्र नहीं है, प्रेमिका है लेकिन अंकशयिनी नही है, अपने चारो तरफ उसने परिधि खींच रखी है यही सबको आने की अनुमति नही है,साथ ही चंचल है कंचन काया है ,सुंदर है नदी की धार है अनवरत बह रही है लोगो के अंतकरण को शीतल कर रही है,
लोगो के लिये जीवन का प्रतीक है,
अभिमानी है साथ ही में पावन है, वर्षा
की पहली बूंद है, चटक गर्मी में शीतल छाया है या मंद मंद पवन है ,
हाँ ऐसी ही होती नारी शरत के कलम द्वारा लिखी गयी नारी ममतामयी है.
अधुनिक युग में तमाम लोग लिख रहे है समसमायिक या अधुनिकता का पुट लिये ,लेकिन लगता है अभी भी शरत चंद्र जैसे लेखकों की समाज में दरकार है.....
चलिये हमारे लेख पर अपने विचार वयक्त करियेगा
😇नंदिता एकांकी😇
प्रयागराज
नज़्म
🌹कुछ अनकही सी बातें🌹
कुछ अनकहीं सी बातें
कुछ बारिश तो ,
कुछ बुदों तो अलसाई सी रातें
कुछ तारों की खुशनुमा सी रातें
🍫🍫🍫🍫🍫🍫🍫
कुछ..... ....
कुछ गुनगुन सी बातें,
वह सौधी साँसों से भरी रातें
कुछ करवट तो ,तो गोल तकियाँ
सी रातें.....
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
कुछ.. ........
अलसाई सी कुछ कुछ
मीठी मीठी सी मदस्त
सी मुलाकातें,
झींगुर की झुन झुन सी
दर्द भरी रातें,
कुछ..........
🤷♂️🤷♂️🤷♂️🤷♂️🤷♂️🤷♂️🤷♂️
काली डायरी,या गुलाबी पन्नो की बातें, कलम स्याही दवात
और रून गुन की यादें
ऊँगली के पोरों
से चित्र उकेरती
अंजता एलोरा की पैंटिग,
बनाती रहती हूँ सारी रातें
✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼
कुछ...........
चलो बंद करती हूँ बातें
कल करती हूँ रौशनी
से मुलाकाते ,चलो कुछ गीत
गुनगुन गीत सी रातें
🎵🎵🎵🎵🎵🎵
कुछ......
☺️ नंदिता एकांकी☺️
प्रयागराज