कोविड सेवा जारी रखते हुए रेलवे कर्मचारियों ने किया विरोध प्रदर्शन


50 लाख का बीमा कराने के साथ ही सभी रेल कर्मचारियों को कोरोना वैरीयर्स घोषित करे सरकार - कॉ मनोज पांडेय







  सुधीर सिन्हा , प्रयाजराज  ।  पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन संबद्ध ऐक्टू के आह्वान पर  मंगलवार को रेलवे कर्मचारियों ने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से रेल मंत्रालय और सरकार द्वारा तय की गई कोविड-19 के दिशा निर्देश का पालन करते हुए  प्रयागराज जं प्लेटफार्म नंबर एक पर, वर्कशॉप के समीप काली पट्टी बांधकर, प्लेकार्ड और  झंडे बैनर के साथ विरोध प्रदर्शन किया।इस दौरान विरोध प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए

 नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन केंद्रीय  के महामंत्री कॉमरेड  मनोज पांडेय ने कहा कि कोविड़ के संक्रमण में आने से  रेलवे स्टेशन पर अनेको यात्रीयो के साथ  टिकट बिंड़ो पर मिलने वाले बुकिंग क्लर्क, टिकट जांच कर्मियों से लेकर ट्रेनों और स्टेशनों की व्यवस्था संभालने वाले स्टेशन मैनेजर, ट्रैकमेनेटर,  ड्राइवर/गॉर्ड,  टेक्नीशियन, पार्सल क्लर्क, नए डिब्बों व इंजनों के निर्माण व रखरखाव में लगे लगभग दो हज़ार से भी अधिक रेल कर्मचारी अब तक अपनी जान गवा चुके हैं।वहीं दूसरी ओर 

 मार्च 2020 में लाकडाउन के बाद जब अचानक पूरा देश थम गया था, तब  से लेकर आज तक लगातार रेलवे कर्मचारी  दिन-रात अपनी जान जोखिम में डालकर ऑक्सीजन, दवाएं, जरूरी खाद्य सामग्री एक जगह से दूसरी जगह पहुचा रहे है, बावजूद वो हेय दृष्टि से ही देखे जा रहे हैं।मुद्दे और सवाल के जवाब में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुवे कामरेड

 मनोज पांडेय जी ने कहा कि  हम लोगो के साथ संगठन ने  मुख्य रूप से आठ  प्रमुख मांगो के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया है,जिसमे से  सरकार द्वारा सभी रेल कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित किये जाने के साथ ही सभी रेल कर्मचारियों का 50 लाख रुपये का बीमा  किये जाने की मांग के अलावा  मार्च 2020 के बाद  कोरोना संक्रमण से जो भी रेल कर्मचारी दिवंगत हुवे है उन  मृतक रेल कर्मचारियों के परिवारों को 50 लाख रुपये एक्स - ग्रेसिया का भुगतान किया जाय,  NPS को तुरंत रद्द कर पुरानी पेंशन योजना बहाल करके PFRDA के पास जमा राशि कर्मचारी को अविलम्ब  वापिस किया जाय,  इसके साथ ही  सरकार  द्वारा महंगाई भत्ते की बकाया सभी किस्तों को  जारी किया जाय, रात्री ड्यूटी भत्ते पर रु . 43600 / - की लिमिट हटाई जाय ,इनके साथ ही  भारतीय रेलवे का निजीकरण बंद किया जाने के साथ ही तीनों कृषि कानून और 4 श्रमिक कोड बिल  को वापस लिया जाय।इन्होंने जानकारी देते हुवे ये भी कहा कि विगत 6 महीनोंसे दिल्ली के बॉर्डर पर तीन कृषि विरोधी कानूनों को रद्द करवाने व MSP पर कानून बनाने के लिए संघर्षरत किसानों  का हम सभी समर्थन करते हुवे  26 मई दिन बुद्द्वार  को लोकतंत्र का काला दिवस का समस्त रेल कर्मचारियों की तरफ़ से समर्थन करते हुए रेलवे में भी ब्लैक डे मनाया जायेगा।वही ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव डॉ कमल उसरी ने  भी विरोध प्रदर्शन करने वाले साथियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि  माननीय प्रधानमंत्री मंत्री जी  स्वयं अपने भाषणो में कई बार रेल कर्मचारियों को कोरोना वैरीयर्स कह  कर सम्बोधित कर चुके है  बावजूद इसके वो रेल कर्मचारियों को  कोरोना वैरीयर्स घोषित नही कर  सके है, जबकि रेल कर्मचारी रात दिन कोरोना वैरीयर्स के रूप में काम रहे है, इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि  अभी तक सभी रेल कर्मचारियों और उनके परिवार को कोविड वैक्सीन की पहली डोज तक नही मिल पाई है जिसके किसी चलते कब कोई कोरोना की चपेट में आ जाय कहना मुश्किल है,  यही नही रेलवे की अस्पताल को  भी राज्य सरकारो के हवाले कर दिया गया है,  जिसके चलते अपने ही अस्पतालों में  रेलवे कर्मचारी  इलाज के वास्ते दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे है।मंगलवार को हुवे  विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन, केंद्रीय महामंत्री मनोज पांडेय, ऐक्टू राष्ट्रीय सचिव डॉ कमल उसरी, संजय तिवारी, सैयद इरफात अली, राकेश शर्मा, सैय्यद आफताब अहमद, आर. ए. रिज़वी, सुनील आर्यन, इफ्तेखार अहमद, प्रदीप कुमार सिंह, रामानन्द मौर्या, मो. गुलाब, शमशेर आलम, संतोष वर्मा, श्रीमती सुनीता, मोहम्मद शमीम, श्रीमती शंकर दईया, अजीत कुमार, वी. के. यादव, मनमोहन रावत, दुखन्नति प्रसाद, शफीक अहमद, शेखर श्रीवास्तव, संजय कुमार, महेन्द्र कुमार, दिलीप कुमार, रामदेव सरोज, सुभाष कुमार के अलावा अन्य लोग शामिल रहे।