मुक्त छंद पर्यावरण को समर्पित

😊😊सांवली लड़की ☺️☺️

वह सावली सी लड़की संथाल की,

मादल के तंरगों पर गाती,

नाचती है कितने कमाल सी,

💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼

वह..............

बिखरे बिखरे से केश ,

लाल सूती धोती बाँधती,

कभी पलाश के फूल 

बालो में बाँध कर,

एकदम राग धमाल सी,

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

वह...... ..  

जंगल को रहस्य हो जैसे,

काले बादल में काला चाँद जैसे,

चंदन है कि मधुयामिनी,

कि सुमधुर सूर ताल जैसे,

🎻🎻🎻🎻🎻🎻🎻🎻

वह............

वह बेला है जूही है ,

या मृगनयनी हो जैसे

झपताल है,कि ठुमरी या 

दादरा के जैसे......

🎵🎵🎵🎵🎵🎵

वह................

कभी कभी लगता है,

रवि वर्मा की पेंटिग हो जैसे,

तूलिका,और रंग रौगन में

राग हो जैसे....... 

🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤

वह ..............

बरसात की बूंदे पहली धरा

पर  हो जैसे सौधी माटी की

महक हो जैसे.....

महकती है कभी चहकती है जैसे

💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼

वह सावली .......... 

बेहद खूशबू वाली माटी जैसे

देहगंध वाली, लाल माटी के

देश हो जैसे..  ..

चुप चुप गुम गुम रून झुन हो

🎼🎼🎼🎼🎼🎼🎼🎼

जैसे. .........

वह..............

वह धरोहर है धरा की,पवन

के वेग सी,पीपल के छाँव सी,

शीतल पवन पुरवाई सी, गाँव के

पनघट सी, मस्त मस्त मृदंग सी,

🎸🎸🎸🎸🎸🎸🎸

वह..................

मधुपान सी जग के सुंदर गान सी,

बेहद रुकी मधुशाला के तान सी,

सहमी सहमी डरी,तो कभी कभी 

जंगल सी.... ..... 

रूनझुन रूनझुन चलती है,

हिरनी की तरह भी दिखती हैं,

हरी हरी कोपल सी नारियल 

के पानी सी,बेहद मीछी शहद सरीखी

🌳🌲🌳🌲🌳🌲🌳🌲

वह..................

आज बस यही तक ,

जंगल में मंगल दिखा दिया 

क्या कुछ कम किया,

मीठी मीठी मुस्कुराहटें चेहरे 

पर आयी, अब क्या करें,

झुमरी ताई, ........

🙆‍♂️😂😂😂😂😂

चलो कल फिर मिलते हैं

नये नये भाव और छंद बुनते हैं

☕☕☕☕☕☕☕☕

वह  .............

🍫🌹🍫🌹🍫🌹🍫🌹


😊  नंदिता एकांकी 😊

🌱🌱प्रयागराज 🍀🍀