शब्द शब्द ब्रह्म

 *शब्द शब्द ब्रह्म*

इन दिनों
शब्दों से परे जाना चाहती हूं मैं
शब्दों के मध्य ठहरी हुई मैं
महसूस कर रही हूं स्वयं को
उस नौका की तरह
जो ,अथाह समंदर में
प्रचंड आंधी एवं तूफान के तीव्र वेग से
डगमगाती हुई
पहुंच जाना चाहती है किनारे तक..
आज,मैं भी
इन शब्दों से परे जाकर
उतर जाना चाहती हूं
गहन मौन में
एकाकार हो जाना चाहती हूं
अपने अंतस की उस गहराई से
जहाँ शब्द शब्द ब्रह्म है..!
सुमन जैन ''सत्यगीता''