लुप्त होती एकल नाट्य शैली को समर्पित

 


🌹🍫पंख लगें है🌹🍫


पंख लगे है अरमानों के,

बेहद सुंदर सजीले तानों के,

तुम कहो तो मल्हार गाऊँ,

या राग भैरवी से बात बनाऊँ,

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

पंख......  .    

ना ना ऐसे काम ना चलेगा,

कुछ मुरकी थाट लगाओ 

तो बात बनेगा,

ओह हो फिर बातों में उलझा रहे

हो....... 

व्यर्थ समय गँवा रहे हो ,

🎻🎻🎻🎻🎻🎻🎻

पंख...................

ओह हो यार पीछे ना पढ़ो ,

जब मन करेगा गा लेगें,

अभी समय है पड़ा ,

कुछ गुन गुना लेगें,

🙆‍♂️🙆‍♂️🙆‍♂️🙆‍♂️🙆‍♂️

पंख............

सुनो ना मेरी बात,

मेरे सबसे बेहतर पुरू

दुनिया तो तुम से ही

शुरू क्यों नहीं तुम पर

सपने बुनूँ.......

☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️

पंख........ ..

चलो चलो बैठो ,

कुछ छंद बंद गीत 

गुनो..........

वह देखो बादल भी ,

मुस्कुरा रहा है,

कुछ अनसुने से 

गीत गुनगुना रहा है,

🌆🌆🌆🌆🌆🌆

पंख.............. 

सुनो इला बेहद,

परेशान हूँ ,भाई,

तेरी बक बक से दिन 

ढलता है, रात तक,

सर दर्द पाई. ....

😂😂😂😂😂😂😂

अरे अरे बुरा मान गयी क्या ?

कोई बात नहीं मैं तो मजाक रहा,

था भाई,

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

पंख............

सुनो ना मेरी चमकीली आँखों वाली,

इला, उदास मत हो ,

लो देखो मैं गा रहा हूँ,

तुम भी गुन गुन गाओ ना,

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

पंख.. .......... 

चलिये अब हम चलते है,

कल किसी और विधा की चर्चा 

करते है,

कल भी गीत होगे और हम 

सब मिलकर गुनगुनायेगें

🎻🎵🎻🎵🎻🎵🎻🎵

पंख............

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚


😉 नंदिता एकांकी😌

🍀🍀प्रयागराज 🍀🍀