तब आप सचमुच जिंदा हैं

रतिभान त्रिपाठी

     

 

आपको परेशान करती होंगी

राजनीति की मक्कारियां

आप भी क्रोधित होते होंगे

घड़ियाली आंसू देखकर


आप गुस्से से जरूर भर उठते होंगे

जब किसी गरीब को 

 छोटी सी पोटली पकड़ाते हुए

दसियों लोग फोटो खिंचवाते दिखते होंगे


तब आप शर्तिया आवेश में आते होंगे

जब सैकड़ों लोग एक साथ

झूठ को ब्रह्मवाक्य बताकर

फेसबुक पर उसकी वकालत करते होंगे


आपके हाथ उस गाल पर तमाचा जड़ने को

हवा में निश्चय ही लहराते होंगे

जब किसी बेईमान को 

ईमानदारी का पाठ पढ़ाते सुनते होंगे


आपका ख़ून खौलता ही होगा

जब कोई ठग दिखता होगा

सत्यनिष्ठा से काम करने का

उपदेश देते हुए


आपका मन वितृष्णा से भर उठता होगा

जब किसी की मौत पर

वो पहुंचते होंगे मातमपुर्सी को

जिनकी वजह से वह मरा है


यह भावनाएं अगर आपके भीतर

जिंदा होंगी तब

आप सचमुच जिंदा हैं

नहीं तो आप मर चुके होंगे।