🍫🌹कैसी हो तुम 🍫🌹
कैसी हो तुम बिलकुल मेरे जैसी हो,
खिलखिला कर हंसती रहती,
बिलकुल पतित पावन गंगा जैसी हो,
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कैसी...............
सच कहूँ तुमको पाता ,मेरा जीवन
पावन हो जाता ........
निच्छल गगन जैसी हो,
साधना जैसा स्वरुप तुम्हारा
नित नये कलेवर में सजती हो
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कैसी हो..... .
सुनो ना आँख बंद कर तुमको पाता
वास्तव में चित शांत हो जाता,
मेरे जीवन की तुम प्रेरणा
तुम से ही तो कह पाता.....
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कैसी हो............
सुनो मेरी इला मेरा त्याग ना करना
जीवन रथ पर साथ चला हूँ,
मेरी मानिनी अभिमानी ,
मेरे जीवन का सप्त स्वर में सजी हो
कैसी हो......
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मैं मन्त्र मुग्ध सा देखता रहता
जब गंगा की तरह हंसती हो
तुम को पाकर जीवन
धन्य मेरा हाँ हाँ बिलकुल
मेरे जैसी हो ........
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कैसी हो.... ..
तुम यामिनी ,एकदम
कालजयी रचना मधुशाला जैसी ,तुम
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कैसी हो.............
आओ तुम को अंक में भर लूँ
ना ना डरता हूँ ,कहीं कंचन काया
मैली ना हो जाये , इस बात से रूकता
हूँ.. .......
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कैसी हो.........
यह प्रण है मेरा कभी तुमके द्रवित
ना करूगाँ यह विस्वास कर लो तुम
सुनो बेहद कोमल हृदय तुम्हारा
मेरे हृदय की स्पंदन तुम
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
कैसी हो.. ..........
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☺️ नंदिता एकांकी ☺️
🕉️प्रयागराज 🕉️